महिलाओं के लिए बहुत फायदेमंद होता है शतपुष्पा, इन 5 परेशानियों से दिलाता है राहत
- Chakrakosh
- Feb 18
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शतपुष्पा, जिसे आयुर्वेद में महत्वपूर्ण औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है, महिलाओं के लिए कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। यहाँ पर शतपुष्पा के 5 प्रमुख फायदों का उल्लेख किया गया है:
1. पाचन स्वास्थ्य में सुधार
शतपुष्पा पाचन संबंधी समस्याओं जैसे गैस, सूजन और पेट दर्द को कम करने में मदद करता है। इसके वातहर गुण पाचन तंत्र को संतुलित रखते हैं.
2. महवारी के लक्षणों से राहत
महिलाओं को माहवारी के दौरान होने वाली ऐंठन और दर्द से राहत देने में शतपुष्पा सहायक होता है। यह मासिक धर्म चक्र को नियमित करने में भी मदद करता है.
3. हार्मोन संतुलन
शतपुष्पा में फाइटोएस्ट्रोजेन होते हैं, जो महिलाओं के हार्मोन संतुलन को बनाए रखने में मदद करते हैं। यह प्रोजेस्ट्रॉन के स्तर को नियंत्रित कर सकता है, जिससे हार्मोनल असंतुलन की समस्याएं कम होती हैं.
4. प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाना
इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटीवायरल गुण महिलाओं की प्रतिरक्षा प्रणाली को सुदृढ़ करते हैं, जिससे वे बीमारियों से बेहतर तरीके से लड़ सकती हैं.
5. स्तन्य उत्पादन में वृद्धि
शतपुष्पा का सेवन स्तन्य उत्पादन को बढ़ाने में सहायक होता है, जो माताओं के लिए विशेष रूप से लाभकारी है.
इन गुणों के कारण शतपुष्पा महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए एक महत्वपूर्ण औषधि मानी जाती है।
शतपुष्पा का उपयोग कौन-कौन से विकारों में किया जा सकता है

1. पाचन संबंधी विकार
शतपुष्पा का सेवन बदहजमी, गैस, और उदरशूल जैसे पाचन संबंधी समस्याओं में राहत प्रदान करता है.
2. महवारी संबंधी समस्याएँ
यह जड़ी-बूटी माहवारी के दर्द, अनियमितता और अन्य हार्मोनल असंतुलनों को संतुलित करने में मदद करती है.
3. संधिवात और सूजन
शतपुष्पा का उपयोग संधिवात (गठिया) और अन्य सूजन संबंधी विकारों में भी किया जाता है। इसके बीजों का तेल मालिश के लिए लाभकारी होता है.
4. स्तन्य विकृति
स्तन्य उत्पादन में वृद्धि और स्तन्य विकृतियों के उपचार के लिए शतपुष्पा का सेवन किया जाता है.
5. उदरकृमि (पेट में कीड़े)
यह जड़ी-बूटी पेट में कीड़ों के उपचार में भी प्रभावी मानी जाती है
शतपुष्पा का सेवन कैसे करें

बीज चूर्ण: 1-2 ग्राम सोया बीज चूर्ण को समभाग मिश्री के साथ मिलाकर सेवन करने से स्तन्य का शोधन तथा वृद्धि होती है।
क्वाथ (काढ़ा): 15-30 मिली सोया के बीजों का क्वाथ बनाकर पीने से प्रसूति संबंधी विकारों में आराम मिलता है। कफज विकारों को शांत करने के लिए भी सोया क्वाथ का प्रयोग किया जाता है।
चबाकर: 1-2 ग्राम सोया को चबाने से पेट फूलना और पेट दर्द जैसे उदर विकारों का शमन होता है।
लेप: सोया के बीजों को दूध के साथ पीसकर शूलयुक्त भाग पर लेप करने से वातरक्त में लाभ होता है।
तेल मालिश: सोया के बीजों को तिल या जैतून के तेल में मिलाकर गुनगुना करके मालिश करने से संधिवात में लाभ होता है।
आहार में शामिल करके: शतपुष्पा की पत्तियों का इस्तेमाल सलाद, सूप और करी में ताज़गी और सुगंध जोड़ने के लिए किया जा सकता है। बीजों का उपयोग चावल, रोटी, अचार और मसाला मिश्रण में मसाले के रूप में किया जा सकता है।
शतपुष्पा (Dill) का सेवन करते समय कुछ contraindications
1. Pitta Dominance
शतपुष्पा का अत्यधिक सेवन Pitta को बढ़ा सकता है, जिससे पेट में जलन और गैस्ट्राइटिस जैसी समस्याएँ हो सकती हैं। इसलिए, Pitta से संबंधित विकारों में इसका सेवन नहीं करना चाहिए.
2. मासिक धर्म के दौरान
मासिक धर्म के दौरान शतपुष्पा का सेवन करने से बचना चाहिए, क्योंकि यह रक्तस्राव को बढ़ा सकता है और अन्य समस्याएँ उत्पन्न कर सकता है.
3. गैस्ट्रिक समस्याएँ
यदि किसी व्यक्ति को पहले से गैस्ट्राइटिस या अन्य गैस्ट्रिक समस्याएँ हैं, तो शतपुष्पा का सेवन करने से पहले चिकित्सक से परामर्श करना उचित है.
4. अधिक मात्रा में सेवन
अत्यधिक मात्रा में शतपुष्पा का सेवन करने से पेट में जलन और अन्य स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं, इसलिए इसे संतुलित मात्रा में ही लेना चाहिए.
इन सावधानियों को ध्यान में रखते हुए, शतपुष्पा का सेवन सुरक्षित और लाभकारी हो सकता है। हमेशा किसी भी नए औषधीय उत्पाद का उपयोग करने से पहले चिकित्सक से सलाह लेना उचित होता है।
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